Google पर ठोका केस, अपना दबदबा बनाने के लिए तेजी से कर रहा गैरकानूनी काम

नई दिल्ली: दुनिया की जानी-मानी टेक कंपनी और सर्च इंजन गूगल पर अमेरिकी कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। बतौर सर्च इंजन गूगल की दुनिया भर में बादशाहत कायम है। कोर्ट ने इसके लिए गूगल पर आरोप लगाया है कि अपनी मोनोपली बनाए रखने के लिए गूगल हर तरह के हथकंडे अपना रहा है। दुनिया की सबसे मशहूर सर्च इंजन कंपनी Google को अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज अमित पी मेहता ने ये झटका दिया है। जानकारों का मानना है कि यह फैसला दुनिया भर में टेक कंपनियों के लिए एक बड़ी दलील बन सकता है।

कोर्ट ने कही ये बात 

दरअसल 286 पेज के फैसले में जस्टिस मेहता ने फैसले में google से कहा है कि उसने अपनी मोनोपाली का नाजायज फायदा उठा रही है। जस्टिस मेहता ने अपने जजमेंट में गूगल से कहा है कि उसने डिस्ट्रीब्यूशन मार्केट में प्रतिस्पर्धा को समाप्त करने के लिए दूसरे सर्च इंजन को रोकने की कोशिश की है। जस्टिस मेहता ने अपने निर्णय में लिखा है कि गूगल 26 अरब डालर खर्च करके स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों को वेब ब्राउज़र में गूगल के सर्च इंजन को डिफॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर स्थापित किया है।

स्मार्टफोन कंपनियों को अरबो डॉलर का भुगतान:

आपको बता दे इससे पहले गूगल के ऊपर यह आरोप लगा था कि उसने स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां Samsung और Apple के फोन में google के सर्च इंजन को फोन में डिफॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर स्थापित करने के लिए अरबो डॉलर का भुगतान किया है जो सरासर गलत है। इसकी वजह से दुनिया के दूसरे सर्च इंजन को पीछे धकेला गया और उचित प्रतिस्पर्धा नहीं हो पाई है।

Google अपील को है तैयार:

गूगल के सूत्रों की माने तो गूगल इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने को तैयार है। गूगल की दलील है कि इसकी उच्च गुणवत्ता की वजह से कंज्यूमर उसके साथ जुड़ते हैं। हालांकि गूगल का यह भी कहना है कि उसे दूसरे प्रतिस्पर्धी प्लेटफार्म से तगड़ा कंपटीशन मिलता है, लेकिन अपनी अच्छी गुणवत्ता की वजह से गूगल ने ये मुकाम हासिल किया है।

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