FII बाजार का महत्वपूर्ण हिस्सा, ये है आज की ज़रूरत SIP काफी नहीं 1

लोकसभा चुनाव से पहले से ही शेयर बाजार में तेजी देखी गई। बाजार की स्थिरता और तेजी से निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ा। चुनाव के दौरान आमतौर पर राजनीतिक अनिश्चितता के कारण बाजार में अस्थिरता देखी जाती है, लेकिन इस बार बाजार में मजबूती बनी रही।
चुनाव के नतीजों के बाद भी बाजार में किसी तरह की गिरावट नहीं आई, बल्कि इसने नए उच्च स्तर (हायर हाई) हासिल किए। यह दर्शाता है कि निवेशकों को भविष्य में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भरोसा है।
तेजी के साथ ही शेयर बाजार में ओवर वैल्यूएशन (कंपनियों के शेयरों की कीमत उनके असल मूल्य से ज्यादा हो जाना) की चिंताएं भी समय-समय पर जाहिर की गईं। कई विशेषज्ञों का मानना था कि बाजार में गिरावट आ सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
चुनाव परिणाम और बजट के बाद भी एफआईआई ने लगभग 30,000 करोड़ रुपए की बिकवाली की। इसके बावजूद, बाजार में गिरावट नहीं आई। इसका मुख्य कारण था मंथली एसआईपी (Systematic Investment Plan), म्यूचुअल फंड, डीआईआई (Domestic Institutional Investors) और रिटेल निवेशकों द्वारा निचले स्तरों पर की गई खरीदारी। बाजार में हर बार निचले स्तर पर खरीदारी की वजह से उसे सपोर्ट मिला, जिससे गिरावट नहीं आई और बाजार ने स्थिरता बनाए रखी।
एफआईआई का महत्व:
भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई का बड़ा योगदान है। विशेषज्ञों का मानना है कि एफआईआई को भारतीय बाजार से दूर नहीं रखा जा सकता, क्योंकि वे हमारे बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एफआईआई के निवेश से बाजार में तरलता और स्थिरता आती है।
भारतीय शेयर बाजार में तेजी के कारण
इस प्रकार, लोकसभा चुनाव से लेकर उसके बाद के घटनाक्रमों तक, भारतीय शेयर बाजार में तेजी बनी रही और इसके कई आर्थिक और निवेश संबंधित कारण हैं। भविष्य में भी निवेशकों को बाजार की स्थितियों का ध्यान रखते हुए निवेश करने की सलाह दी जाती है।
इस मामले में हेलिओस कैपिटल के संस्थापक समीर अरोड़ा ने कहा कि हम सिर्फ़ यह मानकर एफआईआई के फ्लो के पॉकेट को नहीं छोड़ सकते कि हमें हर महीने सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान से 20,000 करोड़ रुपये मिलते हैं। SIP के आंकड़े अच्छे हैं, लेकिन इतने भी अच्छे नहीं जैसा आप सोच रहे हैं।