Fashion

सदर अस्पताल की जांच रिपोर्ट भरोसे लायक नहीं

Munger News : मुंगेर. चिकित्सकों द्वारा मरीज के इलाज के दौरान वैसे तो सेकेंड ओपिनियन लिया जाता है. लेकिन सदर अस्पताल में नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा के बीच अधिकांश मामलों में चिकित्सकों का सेकेंड ओपिनियन मरीजों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. क्योंकि ऐसे में रोगी व उसके परिजनों को सदर अस्पताल में जांच के बाद भी पैसे खर्च कर बाहर से जांच करानी पड़तीहै. जो गरीब लोगों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है, हालांकि जब सदर अस्पताल में एक्स-रे टेक्नीशियन मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच कर रहे हों तो चिकित्सकों का सेंकेंड ओपिनियन शायद जायज भी है.

एक्स-रे टेक्नीशियन कर रहे मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच

सदर अस्पताल में जांच की व्यवस्था बदहाल है. हाल यह है कि सालों से सदर अस्पताल में एक्स-रे टेक्नीशियन ही मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच कर रहे हैं. हद तो यह है कि यहां के एक मात्र एक्स-रे टेक्नीशियन के अवकाश पर रहने के दौरान कई बार ड्रेसर द्वारा भी मरीजों के अल्ट्रासाउंड जांच करने का मामला सामने आ चुका है. हर बार अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस प्रकार के मामले में टेक्नीशियन की कमी और ड्रेसर के अल्ट्रासाउंड जांच करने की जानकारी होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है. इतना ही नहीं अस्पताल के अल्ट्रासाउंड में एक्स-रे टेक्नीशियन रामाधार द्वारा एक दिन में कम से कम 60 से 70 मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच की जाती है. जो प्रतिदिन सुबह 9 से अपराह्न 1 बजे तक ही होती है. ऐसे में केवल 4 घंटों में 60 से 70 मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच कितना सही होती होगी, यह अस्पताल प्रबंधन को ही पता होगा.

पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था भी है बदहाल

ऐसा नहीं है कि सदर अस्पताल में केवल अल्ट्रासाउंड जांच ही बदहाल है. बल्कि यहां पैथोलॉजी जांच तक की स्थिति काफी खराब है. जांच कर्मियों की कमी के कारण एक तो सदर अस्पताल में किसी भी प्रकार के जांच में मरीजों का सैंपल कलेक्शन पारामेडिकल के ट्रेनी छात्र-छात्राओं द्वारा किया जाता है. जबकि पैथोलॉजी जांच केंद्र में कई प्रकार के जांच की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. इसमें थाइराइड, स्टूल कल्चर, यूरिन कल्चर, विटामिन बी-12, डी-3 तथा कैल्सियम जैसी पैथोलॉजी जांच सदर अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. इस कारण इनकी जांच मरीजों को बाहर ही करानी पड़तीहै. इसके लिए भी मरीजों को पैसे खर्च करने पड़तेहैं.

ठेला चालक को जांच कराने के लिए बाहर भी करने पड़े पैसे खर्च

सदर अस्पताल की बदहाल जांच व्यवस्था के कारण ही यहां के चिकित्सक तक जांच रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करते. इस कारण ही अधिकांश मामलों में सेंकेंड ओपिनियन के लिए चिकित्सकों के कहने पर मरीजों का दोबारा बाहर से जांच करानी पड़तीहै. कुछ ऐसी ही परेशानी का सामना सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में भर्ती टीकारामपुरमुंगेरी मंडल टोला निवासी बब्लू कुमार की पत्नी खुशबू कुमारी को उठानी पड़ी. जिसके तीसरे गर्भ का दो महीने में मिसकैरेज हो गया था. इसके बाद बब्लू कुमार अपनी पत्नी को लेकर 3 अगस्त को सदर अस्पताल पहुंचे. जहां महिला चिकित्सक के कहने पर खुशबू कुमारी का सदर अस्पताल में पहले अल्ट्रासाउंड जांच की गयी. महिला चिकित्सक के कहने पर दोबारा परिजनों द्वारा 3 अगस्त को ही दोबारा शहर के एक निजी अस्पताल में खुशबू की अल्ट्रासाउंड जांच 900 रुपये देकर करायीगयी. हालांकि दोनों जगहों पर खुशबू की रिपोर्ट एक-सी ही आयी. लेकिन मात्र सेकेंड ओपिनियन के लिए ठेला चलाने वाले बब्लू कुमार को 900 रुपये खर्च कर अपनी पत्नी का बाहर से अल्ट्रासाउंड जांच कराना पड़ा. कुछ ऐसा ही हाल मुंगेर सदर अस्पताल के पैथोलॉजी जांच में होने वाले सीबीसी जांच में होता है.

कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक

कुछ गंभीर मामलों के जांच रिपोर्ट में एतियायत के तौर पर मरीजों के सेंकेंड ओपिनियन के लिए दोबारा जांच करायी जाती है. जबकि अस्पताल में पहले से ही टेक्नीशियन की कमी है. हालांकि अधिकांश मरीजों का इलाज सदर अस्पताल की जांच रिपोर्ट पर ही चिकित्सकों द्वारा किया जाता है.
-डॉ रमन कुमार, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

[ad_2]

newspaperportal

An newspaperportal website is a platform dedicated to sharing information, insights, resources, and discussions related to various aspects of education. These websites serve as valuable resources for students, teachers, parents, educators, and anyone interested in learning about different newspaperportal topics.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button