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महाकाल की भस्म आरती है विश्व प्रसिद्ध-लाखों की संख्या में पहुंचते है यहां शिवभक्त

Mahakaleshwar Jyotirlinga: क्षिप्रा नदी के के पावन तट पर बसा उज्जैन(Ujjain) में स्थित महाकालेश्वर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) में पूरे विश्व के एकमात्र दक्षिणमुखी शंभू विराजे है. इस स्थान का इतिहास अत्यंत पौराणिक है जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है. लोगों की ऐसी आस्था है कि भगवान महाकाल, काल यानि मृत्यु और समय के देवता है Sawan में जिनके दर्शन मात्र से व्यक्ति के जीवन-मृत्यु का चक्र खत्म हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

प्राचीन समय में अवन्तिका काल गणना का केंद्र बिन्दु हुआ करता था. सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत यही की थी. महाकवि कालिदास भी इसी स्थान के निवासी थी, उनके द्वारा रचित काव्यों में उज्जैन का वर्णन मिलता है,इसके साथ ही यह अन्य देवी देवताओ के भी धार्मिक स्थल भी है.

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग- एक दिव्य पौराणिक स्थान

Mahakaleshwar jyotirlinga, ujjain(image source- social media)

सिंहस्थ महापर्व कुम्भ का आयोजन इस पावन नगरी उज्जैन को महाउज्जैन बनाती हैं. उज्जैन सामाजिक धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एक दिव्य पौराणिक स्थान है, भगवान शिव को समर्पित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है. सावन, शिवरात्रि और नाग पंचमी के दौरान यहां शिव भक्तों की संख्या लाखों में हो जाती है.

प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकालेश्वर(Mahakaleshwar) भगवान शिव के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में विराजमान है.यह मंदिर अपनी अनूठी भस्म आरती के लिए प्रसिद्ध है, एक अनुष्ठान जो दुनिया के सभी कोनों से भक्तों को आकर्षित करता है. यह दैनिक समारोह, जहां शिवलिंग को पवित्र भस्म से सजाया जाता है. महाकालेश्वर की भस्म आरती विशेष है. आपको यह  बात भी बता दे कि महाकाल मंदिर में 6 बार आरती की जाती है और हर बार एक नया स्वरूप में दिखते है महाकाल. 

भस्म आरती से जुड़ी महाकालेश्वर की प्राचीन कथा

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Mahakaleshwar jyotirlinga, ujjain(image source- social media)

महाकालेश्वर मंदिर(Mahakaleshwar Jyotirlinga) से एक किंवदंती से जुड़ी हैं, जिसमें दूषण नामक राक्षस शामिल है जिसनें पूरे नगर में तबाही मचा रखी थी. असहाय निवासियों ने भगवान शिव से सुरक्षा के लिए प्रार्थना की. भगवान शिव अपने भक्तों का कष्ट दूर करने एवं दूषण राक्षस को इस संसार से मुक्ति दिलाने के लिए महाकालेश्वर के रूप में प्रकट हुए. भक्तों के अनुरोध पर भगवान महाकाल यहां महाकालेश्वर के रूप में विराजे और उन्होंने दूषण नामक राक्षस के भस्म से अपना शृंगार किया. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, मंदिर की नींव स्वयं भगवान ब्रह्मा ने रखी थी, हालांकि यह गुप्त काल के दौरान कि मंदिर ने अपने प्रतिष्ठित शिखर को प्राप्त किया था, जिससे इसकी स्थापत्य भव्यता बढ़ गई.

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महाकाल लोक कॉरीडोर

Mahakal Lok
Mahakal lok corridor, mahakaleshwar jyotirlinga, ujjain(image source- social media)

भक्तों की सुरक्षा एवं उनके आध्यात्मिक अनुभव को भधाने के उद्देश्य से महाकाल लोक कॉरीडोर(Mahakal Lok) का निर्माण कराया गया. यह कॉरीडोर लगभग 900 मीटर से अधिक क्षेत्र फैला हुआ है. यहां भगवान महाकालेश्वर से जुड़ी कहानियों को दर्शाते चित्र और मूर्तिया भी शामिल है.

सावन(Sawan), शिवरात्रि और नाग पंचमी वे त्योहार हैं जो शिव भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखते हैं.इन अवसरों पर उज्जैन में तीर्थयात्रियों की संख्या लाखों में होती है.सावन के पवित्र महीने (जुलाई-अगस्त) में पड़ने वाली सावन शिवरात्रि के दौरान, महाकालेश्वर मंदिर पूजा के लिए एक केंद्र बिंदु बन जाता है. खास तौर पर भस्म आरती में हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं जो शिवलिंग को जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक भस्म से सजा हुआ देखते हैं.

मध्य प्रदेश के मंदिरों के शहर के रूप में जाना जाने वाला उज्जैन 100 से अधिक मंदिरों का घर है, जिनमें से प्रत्येक भक्ति और इतिहास की कहानियां सुनाता है. यह शहर सिंहस्थ (कुंभ मेला) की मेजबानी के लिए प्रसिद्ध है, जो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक है, जो पवित्र शिप्रा नदी के तट पर हर 12 साल में आयोजित किया जाता है.

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