भगवान शिव को क्यों अर्पित किया जाता है बेल पत्र, क्या है इसकी महत्ता 1
भगवान शिव करोड़ो लोगों के आराध्य हैं उनको उनके भक्त प्यार से भोले बाबा भी कहते हैं और केवल वह ही हैं जो मात्र एक लोटे जल और बेल पत्र से प्रसन्न हो जाते हैं।
बता दें कि भगवान शिव की पूजा में बिल्वपत्र जिसे बेल पत्र कहते हैं इसका बड़ा महत्व है। उनके भक्त पूजा करते समय बेलपत्र, धतुरा आदि को उन पर जरूर चढ़ाते हैं।
बेल पत्र चढ़ाने का धार्मिक महत्व
इसके अलावा शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने का धार्मिक महत्व भी है और इस महत्व को बताने वाली एक कथा भी बहुत प्रचलित है, जिसमें बेलपत्र की महत्ता समझाई गई है। तो चलिए अब आपको डाकू और बेलपत्र से जुड़ी शिव कथा के बारे में बताते हैं।
भील डाकू के बेल पत्र चढ़ाने से प्रसन्न हुए थे भोले बाबा
एक भील नाम का डाकू था जो अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटता था। एक बार वह सावन के महीने में भील राहगीरों को लूटने के उद्देश्य से जंगल में चला गया। उनको लूटने के लिए वह एक पेड़ पर छिपकर बैठ गया, वह डाकू जिस पेड़ पर चढ़ा था, वह बेल यानी बिल्व का पेड़ था। पेड़ में छिपे इस डाकू को देखते ही देखते पूरा एक दिन और पूरी निकल गई पर उसको कोई भी शिकार नहीं मिला।
जिससे वह भील काफी परेशान हो गया और बेल के पत्तों को तोड़कर नीचे फेंकने लगा, लेकिन संयोग से उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था। वह जो पत्ते तोड़कर नीचे फेंकता, वे शिवलिंग पर गिर रहे थे, जिससे वह भील पूरी तरह से अनजान था।
भील द्वारा लगातार फेंके जा रहे बेल के पत्तों के शिवलिंग पर गिरने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हो गए और अचानक उस डाकू के सामने प्रकट हो गए। भगवान शिव ने भील डाकू से वरदान मांगने के लिए कहा, और उसके जीवन का उद्धार कर दिया।
इसके बाद से भगवान शिव के भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने लगे। यह मान्यता काफी प्रचलित है कि बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और इसलिए ही उनकी पूजा में भक्तगण अनिवार्य रूप से बेलपत्र चढ़ाते हैं।