जिराफ जैसी लंबी गर्दन पाने के लिए गले में छल्ले पहनती हैं ये महिलाएं, जाने क्या है कारण
हमारी दुनिया विविधता से भरी हुई है, जिसमें अलग-अलग देश, सभ्यताएं, और रीति-रिवाज हैं। इनमें से कई सभ्यताएं ऐसी हैं, जिनमें सदियों पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं। ऐसी ही एक अनोखी और प्राचीन परंपरा म्यांमार की कयाह जनजाति में देखने को मिलती है।
इस जनजाति की महिलाओं की खास पहचान उनकी जिराफ जैसी लंबी गर्दनें हैं, जिन पर वे धातु के छल्ले पहनती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और दुनियाभर के टूरिस्टों को आकर्षित करती है।
इस जनजाति के लोग पहनते हैं गले में छल्ले
म्यांमार की कयान जनजाति की महिलाएं अपनी लंबी गर्दनों के लिए जानी जाती हैं, जिन्हें वे छोटे उम्र से ही धातु के छल्ले पहनाकर लंबा बनाती हैं। ये छल्ले उनके गले को नीचे की ओर दबाते हैं, जिससे उनकी गर्दन लंबी होती चली जाती है। जैसे-जैसे वे बड़ी होती हैं, उनके गले पर छल्लों की संख्या बढ़ती जाती है, और उनका गला अस्वाभाविक रूप से लंबा हो जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया आरामदायक नहीं होती, लेकिन इसे इस जनजाति की संस्कृति और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है।
टूरिस्ट इन महिलाओं को देखकर हो जाते हैं हैरान
टूरिस्ट अक्सर कयान जनजाति के गांवों में आते हैं और इन महिलाओं के साथ फोटो खिंचवाते हैं। वे उनकी सभ्यता, परंपरा और धातु के छल्ले पहनने के पीछे के कारण को जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। इस जनजाति की महिलाओं को देखकर लोग हैरान हो जाते हैं और उनकी परंपराओं के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं।
क्यों गले में छल्ले पहनती है ये महिलाएं
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये महिलाएं आखिर क्यों इन छल्लों को पहनती हैं? इसका कारण जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। दरअसल, इस परंपरा के पीछे कई मान्यताएं हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इन छल्लों का उद्देश्य महिलाओं को जंगली जानवरों से बचाना है, जबकि अन्य लोग मानते हैं कि यह सौंदर्य का प्रतीक है। इसके अलावा, इस परंपरा के पीछे यह भी मान्यता है कि यह महिलाओं को बाहरी दुनिया से दूर रखती है, ताकि वे जनजाति की संस्कृति के भीतर ही रहें।
कयान जनजाति की यह परंपरा आज भी जीवित है और यह उनके अनूठे जीवन और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह परंपरा न केवल उनके अस्तित्व का हिस्सा है, बल्कि दुनिया के लिए भी एक सीख है कि कैसे पुरानी परंपराएं समय के साथ भी जीवित रह सकती हैं।