नई दिल्ली। नौकरी पाने की चाहत हर कोई रखता है। और नौकरी के साथ साथ यदि उसका पैकेज अच्छा मिल जाए, तो फिर क्या कहने। इस तरह की नौकरी को कोई हाथ से जानें क्यों देगा। एक नौकरी ऐसी भी है जिसमें ना तो आपको कोई काम करना है, ना ही किसी की नजर में रहना हैं। बस मन का काम करके खाना और सोना है। और इसके बदले में आपको पूरी सैलरी साल भर में 30 करोड़ के करीब की मिलेगी। लेकिन इतनी सुविधाए मिलने के बाद भी इस नौकरी के लिए कोई उम्मीदवार नही मिल रहा है। आखिर क्या है सके पीछे का कारण।
करोड़ों का मोटा पैकेज मिलने के बाद इस नौकरी को कोई क्यो नही करना चाह रहा है। इसके पीछ का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह नौकरी मिस्त्र के अलेक्जेंड्रिया बंदरगाह में फारोस नाम के द्वीप पर स्थित लाइटहाउस ऑफ अलेक्जेंड्रिमें रहने के लिए है जिसे एक कीपर की जरूरत है। जो इस जगह का लाइट पर अपनी नजर बने रखे। इस नौकरी के लिए कपंनी सालाना सैलरी 30 करोड़ रुपए तक देने को तैयार है।
इस लाइटहाउस के कीपर का नौकरी में उम्मीदवार को बस लाइट पर नजर रखनी होगी। इसके अलावा उसे कुछ नही करना होगा। बस, ध्यान रहे कि लाइट हाउस की लाइट बंद ना होने पाए। यह लाइट हमेशा जलती रहे। इस अराम की नौकरी के साथ मिल रहे मोटे पैकेज को देखकर भी लोग इस नौकरी को करने को तैयार नही है।
जान जाने का खतरा
बताया जा रहा है यह नौकरी सबसे ज्यादा कठिनाइयो से भरी है क्योंकि यहां पर काम करने वाला ना तो कहीं घूम सकता है। ना किसी से बात कर सकते है। पूरे समुद्र के बीच उसे अकेले रहना होता है। कभी कभी इस लाइटहाउस को कई खतरनाक तूफान भी झेलने पड़ते हैं। इतना ही नही कभी कभी समुद्री लहरें भी इतनी ऊंची उठती हैं कि लहरों से लाइफहाउस पूरी तरह ढंक जाता है। ऐसा होने पर लाइटहाउस कीपर का जान तक चली जाती है।
आखिर क्यों बनाया गया समुद्र में लाइट हाउस?
समुद्र के बीचो बीच लाइट हाउस बनाने के सबसे उद्देशय यह था कि इस इलाके में बड़ी-बड़ी चट्टानें होने के कारण रात अधेरे में तूफान के बीच नावें चट्टान से टकरा जाती था जिससे लोगों की जान चली जाती थी। इसी तरह के खतरे को देखकर शासक ने समुद्र के बीच ऐसी मीनार बनाने का आदेश दिया जहां से रोशनी दूर दूर तक जा सके। इससे जहाजों को रास्ता भी दिखेगा, और जहाज को बड़े पत्थरों से भी बचाया जा सकेगा। बाहर से आए आर्किटेक्ट ने इस लाइट हाउस को बनाया। जिसका नाम’द फेरोस ऑफ अलेक्जेंड्रिया’ रखा गया है।
पहले के समय में इस लाइटहाउस में लकडि़यों को जलाकर रोशनी दिखाई जाती थी। लेंस की मदद से उसे और बड़ा किया जाता था जिससे आग की रोशनी दूर तक जा सके।
दुनिया का पहला लाइटहाउस
इस लाइटहाउस के बनने से जहाज को आने जाने में बड़ी सुविधा हुई। यह दुनिया का पहला लाइट हाउस था। इस लाइटहाउस के बनने के बाद दुनिया भर में कई लाइट हाउस बने। उसेक बाद बिजली की खोज हुई और लाइट हाउस पर बिजली से रोशनी पहुचाई जाने लगी।