शाहजहां को हमेशा रहता था अपनी मौत का डर, बनवाई थी जहरीले खाने को पहचानने वाली प्लेट 1

नई दिल्ली। मुगल बादशाह शाहजहां वो राजा थे जो अपने वैभवविलास के लिए जाने जाते थे । उनके राज दरबार में दूर दूर से प्रतिष्ठित व्यक्ति आते थे। और शाहजहाँ के वैभव और ठाट−बाट को देख कर हैरान रह जाते थे। शाहजहां दूसरे मुगल बादशाहों से काफी अलग थे। उन्हे गीत-संगीत सुनना और गाना दोनों पसंद था। वो नृत्यकला के भी पारखी थे जब भी वह कहीं बाहर जाते तो उनके साथ नाचने-गाने वाली महिलाओं का पूरा झुंड साथ जाता था, जिसे ‘कंचन’ कहा जाता था।
चांदी के वर्क वाला चावल ही खाते थे
शाहजहां भोगविलास के साथ साथ खाने-पीने के भी शौकीन थे। लेकिन उनके भोजन के तैयार कराने में हकीम लगे रहते थे। उनकी देखरेख में ही खाना तैयार होकर उनकैपास तक जाता था। शाही पकवान उनके स्वास्थ को ध्यान में रखकर ही बनते थे।
इतना ही नही शाहजहां के खानो में जो चावल का उपयोग किया जाता था वो चांदी के वर्क से चढ़ा होता था। हकीमों का मानना था था कि चांदी के वर्क वाले चावल को खाने से कामोत्तेजना बढ़ाती है।
जहरीला खाना पहचानने वाली प्लेट
लेकिन इस शाही राजठाठ बाठ के बीच शाहजहां की नींद अपनी मौत को लेकर उड़ी रहती थी उसे डर सताता था कि उसे मारने के लिए कोई उसके खाने में जहर ना मिला दे। इसलिए उसने अपनी सुरक्षा में रसोई पर एक विशवस्नीय इंसान को रखा जो उनके खाने को पहले चखता था उसके बाद ही बादशाह को परोसा जाता था। इतना ही नही शाहजहां के लिए जहर से बचने के लिए खास प्लेटें भी बनवाई गई थी, जो फौरन जहर की पहचान कर लेती थी।
कारीगरों ने इस चीनी मिट्टी को प्लेट को बनाने में खास तस्तरी डिजाइन की थी, जिसमें विषाक्त पदार्थ डालते ही वो अपना रंग बदल थी या फिर तुरंत चिटककर टूट जाती थी। आज भी यह प्लेट आगरा के म्यूजियम में रखी देखा जा सकती है। इस प्लेट के ठीक ऊपर लिखा है ‘जहर परख रकाबी’, यानी ऐसा बर्तन जो जहरीला भोजन डालने से रंग बदल देता है या टूट जाता है।