राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे की भावुक अपील: ‘मैं अब और जीना नहीं चाहता’

राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे की भावुक टिप्पणी: भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी की परिवारवाद पर टिप्पणी से आहत होकर बोले ‘मैं अब और जीना नहीं चाहता’; जगदीप धनखड़ ने कहा- ‘खरगे को ठेस पहुंचाने वाली कोई भी बात रिकॉर्ड में नहीं रहेगी’

नई दिल्ली – राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की भावुक टिप्पणी ने सभी को चौंका दिया। यह घटना तब हुई जब भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने खरगे पर परिवारवाद और उनके नाम को लेकर विवादित टिप्पणी की। तिवारी की इस टिप्पणी से खरगे इतना आहत हुए कि उन्होंने सदन में भावुक होकर कहा, “मैं अब और जीना नहीं चाहता।”

घनश्याम तिवारी की टिप्पणी ने खरगे को गहरे दुखी कर दिया, और उनके भावुक शब्दों ने पूरी सदन की कार्यवाही को प्रभावित किया। खरगे ने अपने भाषण में कहा कि तिवारी की टिप्पणियों ने उनके परिवार और उनके व्यक्तिगत जीवन को निशाना बनाया है, जो उनके लिए अत्यंत दर्दनाक और असहनीय है। उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में जीना अब उनके लिए कठिन हो गया है और उनकी आत्मसम्मान को गहरी ठेस पहुंची है।

सदन में इस भावुक पल के बीच, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने स्थिति को संभालते हुए कहा कि खरगे की भावुकता को ध्यान में रखते हुए, इस मामले में उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कोई भी बात रिकॉर्ड में नहीं रखी जाएगी। धनखड़ ने कहा कि सदन में किसी भी सदस्य को व्यक्तिगत रूप से ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए और सभी को एक-दूसरे के प्रति सम्मान बनाए रखना चाहिए।

धनखड़ के इस बयान ने खरगे और उनके समर्थकों को राहत दी, लेकिन पूरे सदन में इस घटनाक्रम ने एक गंभीर संदेश दिया। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में भी व्यक्तिगत सम्मान और संवेदनशीलता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

कांग्रेस पार्टी ने इस घटनाक्रम की निंदा करते हुए कहा कि तिवारी की टिप्पणियों ने न केवल खरगे बल्कि पूरे विपक्ष को अपमानित किया है। पार्टी ने इस मुद्दे पर भाजपा से स्पष्टीकरण की मांग की है और कहा है कि ऐसे मुद्दों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

सदन की कार्यवाही के दौरान हुई इस भावुक घटना ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राजनीति में असहमति और विवाद होना स्वाभाविक है, लेकिन व्यक्तिगत अपमान और असंवेदनशीलता को नकारना भी उतना ही आवश्यक है।

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