यूपीएससी ने दी बायरोक्रेसी में लेटरल एंट्री के लिए विज्ञप्ति: नीति क्या है, और क्यों नहीं है कोई आरक्षण प्रावधान
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और अन्य सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री के लिए एक नई विज्ञप्ति जारी की है। इस नीति के तहत, निजी क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों से पेशेवरों को सीधे बायरोक्रेसी में शामिल होने का मौका मिलेगा।
नीति की जानकारी
इस नई नीति के अनुसार, योग्य उम्मीदवारों को सीधे सिविल सेवा के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जा सकेगा, बिना पारंपरिक परीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से गुजरने के। यह कदम प्रशासनिक सुधारों और बायरोक्रेसी में नए दृष्टिकोण लाने के उद्देश्य से उठाया गया है। लेटरल एंट्री के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों को विशेष कौशल, अनुभव, और शैक्षिक योग्यताओं के आधार पर चुना जाएगा।
आरक्षण का प्रावधान न होना
हालांकि, इस नई नीति ने कई सवाल उठाए हैं, विशेषकर आरक्षण प्रावधान के संबंध में। इस नीति में किसी भी प्रकार के आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है, जो कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए आरक्षित श्रेणियों को लेकर चिंता का विषय बन गया है।
विज्ञप्ति के अनुसार, लेटरल एंट्री का उद्देश्य विशेष रूप से ऐसे अनुभवी और कुशल पेशेवरों को शामिल करना है जो सरकारी कार्यों में ताजगी और नवाचार ला सकें। इस नीति के अंतर्गत, चयनित उम्मीदवारों को बायरोक्रेसी के विभिन्न विभागों में जिम्मेदार पदों पर नियुक्त किया जाएगा, जो कि उनकी विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर होगा।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस नई नीति पर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बिना आरक्षण के लेटरल एंट्री की नीति सामाजिक समानता को प्रभावित कर सकती है और सरकारी सेवाओं में विभिन्न जातियों और वर्गों का प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। वहीं, सरकार का तर्क है कि इस नीति से बायरोक्रेसी में नए विचार और व्यावसायिक दृष्टिकोण आएंगे, जो प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएंगे।
भविष्य की दिशा
इस नई नीति के लागू होने से सरकारी सेवा में एक नई दिशा और सुधार की उम्मीदें जगी हैं। हालांकि, इसका वास्तविक प्रभाव देखने के लिए और अधिक समय लगेगा, और यह देखने की बात होगी कि लेटरल एंट्री से संबंधित मुद्दे और चिंताओं का समाधान कैसे किया जाता है।
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