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मिथिला का अटल बिहारी से भावनात्मक रिश्ता

Atal Bihari Vajpayee: दरभंगा. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिथिला के लोगों का संबंध न केवल राजनीतिक है बल्कि उससे कहीं अधिक भावनात्मक है. अटल ने न केवल दो भागों में विभाजित मिथिला को एक किया, बल्कि मिथिला की भाषा को भी संवैधानिक दर्जा देकर यहां के लोगों के दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली. यही कारण है कि शायद ही कोई मैथिल अटल बिहारी वाजपेयी का भूल सकता है. ईस्ट वेस्ट कोरिडोर से गुजरते हुए हर कोई इस बात को महसूस कर सकता है कि एक छोटे से कालखंड में देश का नेतृत्व संभालनेवाले अटल बिहारी वाजपेयी ने मिथिला में विकास के सूरज का ऐसा उदय किया, जो आज पूरे मिथिला को प्रकाशमय किया हुआ है.

एक तारीख भर नहीं है छह जून

2003 की वो 6 जून की तारीख, आज भी हर मैथिल को याद है. महज एक तारीख का जिक्र होते ही मैथिल के जेहन में कोसी नदी पर सेतु का शिलान्यास की धूमिल हो रही यादें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर अचानक ताजा हो जाती है. यह वही दिन था जिसने दो भागों में विभाजित मिथिला को जोड़ने और इस पूरे इलाके के विकास की गाथा लिखी गयी. 1934 से इस जुड़ाव का इंतजार था. जब कोसी की नई धारा ने दो प्रखंडों निर्मली और मरौना को जिला मुख्यालय से काट दिया. ऐसे में कई परिवार दो भागों में बंट गये. उनका मिलना भी किसी दिवास्वप्न से कम नहीं था.

टूटे संबंध को जोड़नेका किया प्रयास

लगभग सात दशक पूर्व रेल सम्पर्क टूट जाने के बाद आवागमन की समस्या को लेकर उस इलाके में कोई अपनी बेटी को ब्याहना नहीं चाहता था और एक तरह से मिथिला के दोनों इलाके का संबंध टूट सा गया था. 15 किमी की दूरी तय करने के लिए पहले यहां के लोग छह जिलों को पार कर रेल की उवाऊ यात्रा पूरी करते थे. जब 6 जून 2003 को अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मेगा प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया, पूर्वी और पश्चिमी मिथिला को जोड़ने का प्रयास किया तो इलाके में खुशी की लहर दौड़ गयी. कई आखें खुशी से नम हो गयीं.

अटल ने मिथिला में विकास की नई रूपरेखा तैयार की

6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी निर्मली के एचपी साह कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे. कॉलेज परिसर में बनाये गये मंच से उन्होंने रेल और सड़क महासेतु का शिलान्यास किया. 15 साल बाद रेल महासेतु बनकर तैयार हुआ. 2008 में बनकर तैयार हुए सड़क महासेतु ने विकास की नई रूपरेखा तैयार कर दी. कल तक टापू के रूप में चिन्हित सुपौल जिला आज सड़क आवागमन के मामले में सबसे सुलभ जिला माना जा रहा है. पोरबंदर को सिल्चर से जोड़नेवाले इस्ट एंड वेस्ट कोरिडोर का 60 किमी हिस्सा इस जिले से गुजरता है. अटल बिहारी वाजपेयी ने ही प्रधानमंत्री रहते दिसंबर 2003 में मिथिला की भाषा मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराया था.

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अटल ने समझी थी लोगों की पीड़ा

दरभंगा महाराजा के प्रयास से 1874 से 1934 तक निर्मली से मझारी, रहरिया होते हुए भपटियाही तक ट्रेन चलती थी. 1934 के जोरदार भूंकप आने के बाद कोसी ने अपनी धारा बदल ली और इस धारा ने रेल पटरियों को तहस-नहस कर दिया. तब से मिथिला दो भागों में विभाजित था. अटल बिहारी ने लोगों की इस पीड़ा को महसूस किया और प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोगों के इस सपने को पूरा करने का प्रयास किया. तब 2003 में उन्होंने 324 करोड़ की लागत से बननेवाले रेल महासेतु और सड़क महासेतु का शिलान्यास किया. इस सपने को कई जगह रोका गया. हालांकि इस महासेतु के जरिये अब रेल की यात्रा भी शुरू हो चुकी है.

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