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बिहार में ‘आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ का भारत बंद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विरोध

बिहार के एक छोटे से शहर में आज एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक घटनाक्रम हो रहा था। ‘आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया था। यह निर्णय आरक्षण से संबंधित था, जिसने राज्य और देशभर में हलचल मचा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आरक्षण व्यवस्था में कुछ बदलाव की बात की थी, जिसे लेकर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूहों में गहरा असंतोष था। ‘आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ इस फैसले को समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों पर हमला मानते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय लिया।

सुबह-सुबह से ही शहर की गलियों में ताजगी का माहौल था, लेकिन भारत बंद का असर धीरे-धीरे साफ होने लगा। प्रमुख चौराहों और बाजारों में दुकानें बंद थीं, और यातायात भी ठप था। सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ जमा हो गई थी। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर “आरक्षण बचाओ”, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला वापस लो” जैसे नारे लिखे हुए थे।

प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख मार्गों को ब्लॉक कर दिया और सड़कों पर बैठकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताया। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से इस फैसले को लेकर पुनर्विचार करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह फैसला समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों का उल्लंघन है और इससे उन्हें शिक्षा और रोजगार में समान अवसर नहीं मिल पाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा और गुस्से का यह प्रदर्शन शहर की सड़कों पर साफ दिखाई दे रहा था। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जताते हुए किसी भी हिंसा से बचने का प्रयास किया।

बंद के दौरान कई स्कूल, कॉलेज, और सरकारी दफ्तर बंद रहे, और यातायात की स्थिति भी प्रभावित रही। स्थानीय लोगों ने भी इस बंद का समर्थन किया और सड़क किनारे प्रदर्शनकारी समूहों को पानी और खाने-पीने की चीजें उपलब्ध कराईं।

भारत बंद की समाप्ति के बाद, ‘आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। उन्होंने कहा कि यह विरोध सिर्फ शुरुआत है। वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा की मांग करेंगे और इसे समाज के सभी वर्गों के हित में समायोजित करने की कोशिश करेंगे।

इस भारत बंद ने यह स्पष्ट कर दिया कि आरक्षण पर कोई भी बदलाव समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित कर सकता है, और इसे लेकर विरोध और समर्थन का सिलसिला जारी रहेगा। यह घटना सामाजिक और राजनीतिक विमर्श को और भी जीवंत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।

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