परियोजना पर ₹244 करोड़ खर्च किए, काम का कोई नामों निशान नहीं 1

मध्य प्रदेश में एक बड़ा घोटाला सामने आने से पूरे प्रदेश का राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है। पहले की रही कांग्रेस की सरकार ने एक डैम से वाटर डिस्ट्रीब्यूशन चैनल बनाने के लिए कंपनियों को 243.95 करोड़ रुपये का एडवांस भुगतान किया था, लेकिन इस चैनल का निर्माण आजतक नहीं हुआ।
मध्य प्रदेश में तत्कालीन कांग्रेस कमलनाथ की सरकार के बाद में आई BJP की शिवराज सिंह सरकार ने भी इस एडवांस राशि को अनदेखा कर दिया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मामला मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का है। जल संसाधन विभाग के आंतरिक दस्तावेजों के मुताबिक, हैदराबाद की एक कंपनी और मेसर्स पटेल इंजीनियरिंग के जॉइंट वेंचर को साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने ठेका दिया था।
उसी साल में जल वितरण चैनल के निर्माण के लिए 243.95 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जारी की गई थी। इस परियोजना का नाम गोंड वृहद सिंचाई परियोजना है जिसको 28 मार्च 2024 तक पूरा होना था। लेकिन साल 2019 से आज तक जमीन पर एक भी पाइप नहीं बिछाया गया और बांध के निर्माण की शुरूवात तक नहीं हुई।
BJP विधायक ने पूछा प्रश्न
सिंगरौली जिले के देवसर के BJP विधायक राजेंद्र मेश्राम ने इस परियोजना की प्रगति के संबंध में विधानसभा में एक लिखित में प्रश्न पूछा था, जिसका उनको कोई जवाब नहीं दिया गया।
परियोजना का नहीं कोई पता
लेकिन अब मेश्राम ने दावा किया है कि नई सरकार ने इसको मंजूरी दे दी है और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से एनओसी की मांगी जा रही है। BJP विधायक मेश्राम ने इस मामले पर कहा, यह मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट था और 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी को 200 करोड़ से ज्यादा एडवांस दिए थे। कंपनी ने परियोजना पर कोई कार्य नहीं किया और कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद काम शुरू भी नहीं हो पाया। लेकिन अब इस नई सरकार ने परियोजना के लिए मंजूरी दे दी है और एनओसी भी लाने वाली है।
मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस मामले पर कहा, यह प्रदेश के संसाधनों की दिनदहाड़े लूट है, जिसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टीयां शामिल हैं। कांग्रेस सरकार ने टेंडर की सभी शर्तों का उल्लंघन करने के साथ एडवांस राशि जारी कर दी, जिसमें उल्लेख किया गया था कि बांध निर्माण एक निश्चित स्तर पर पहुंचने के बाद ही पाइप लाइन बिछाई जा सकेगी। लेकिन यहां तो बांध का निर्माण कार्य ही नहीं शुरू हुआ है और 244 करोड़ रुपये भी गए। तो वहीं शिवराज सिंह सरकार ने भी एडवांस राशि को भी अनदेखा कर दिया।