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दुश्मनी के चक्कर में राहुल गांधी ने पिता के काम को ही किया बदनाम

कांग्रेस के प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी वर्तमान केंद्र सरकार को घेरने के लिए कुछ मुद्दों पर आंखें मूंदकर इस प्रकार से बोलते हैं की वे अपनी ही पार्टी के गुड़वर्क तथा कांग्रेस के लीजेंड्री नेताओं के फैसलों पर पानी फेर जाते हैं। वर्तमान में लेटरल एंट्री का मामला काफी तूल पकडे हुए हैं।

राहुल गांधी ने इस मामले का काफी जोरदार विरोध किया हालांकि आपको बता दें की लेटरल एंट्री की शुरुआत कांग्रेस के समय में ही हुई और कांग्रेस ने इसका अच्छा यूज भी किया था। वर्तमान में विरोध को देखते हुए कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमेन को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगवा दी है।

लेटरल एंट्री से निकले कांग्रेस के नेता

आपको जानकारी दे दें की कांग्रेस की यूपीए सरकार ही सबसे पहले लेटरल एंट्री का कांसेप्ट लेकर आयी थी। इसी सरकार के दौरान 2005 में दूसरे प्रशासनिक सुधार का गठन किया गया था। जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे। इस आयोग की एक सिफारिश यह थी की उच्च सरकारी पदों के लिए विशेष ज्ञान तथा कौशल की जरुरत होती है। अतः इन पर लेटरल एंट्री की शुरुआत की जाए हालाकि वर्तमान में इसी चीज के खिलाफ राहुल गांधी अपना विरोध जाता रहें हैं।

आपको बता दें की पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को 1971 में तत्कालीन विदेश व्यापार मंत्रालय में लेटरल एंट्री के जरिये ही आर्थिक सलाहकार के रूप में लाया गया था। इसके अलावा सैम पित्रोदा, बिमल जालान, रघुराम राजन आरजी पटेल आदि लोग लेटरल एंट्री से ही कांग्रेस के समय में आये थे, न की किसी आरक्षण कोटे से यदि आरक्षण कोटा लागू कर दिया गया होता तो संभवतः इन लोगों की एंट्री हो ही नहीं पाती।

कांग्रेस की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल में भी लेटरल एंट्री के अधिकारी

बता दें की कांग्रेस की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल में भी लेटरल एंट्री से आये काफी अधिकारी शामिल थे। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल कहते हैं की कांग्रेस की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल इतिहास की सबसे बड़ी लेटरल एंट्री थी। इसने 10 साल तक देश पर राज किया तथा इसके शिखर पर सोनिया गांधी थी।

बता दें की इस एडवाइजरी में मिहिर शाह, आशीष मंडल, दीप जोशी, अरुणा राय, हर्ष मंदर जैसे काफी लोग शामिल थे। मनरेगा, खाद्य सुरक्षा बिल तथा सूचना का अधिकार जैसे फैसले इसी एडवाइजरी के लोगों से आये थे, जो की लेटरल एंट्री से आये थे। वर्तमान में राहुल गांधी का कहना है की लेटरल एंट्री में भी आरक्षण होना चाहिए तब क्या राहुल गांधी अपनी मां के फैसले को ही नकार रहें हैं?

केंद्र के यू-टर्न के बाद राहुल गांधी

केंद्र के लेटरल एंट्री पर यू-टर्न के बाद में राहुल गांधी की प्रतिक्रया सामने आई है। उनका कहना है की “संविधान तथा आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। बीजेपी की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम करके दिखाएँगे। मै एक बार फिर कह रहा हूँ – 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे। जय हिंद।”

आपको बता दें की राहुल गांधी जितना पिछडो तथा आरक्षण की बात कर केंद्र सरकार को घेरने की बात करेंगे उतना ही कांग्रेस की खामियां उजागर होंगी। बता दें की इंदिरा गांधी के समय में ही मंडल कमीशन की रिपोर्ट आ गई थी लेकिन इसको लागू नहीं किया गया, राजीब गांधी ने भी इस रिपोर्ट को दबाये रखा। इसके बाद 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार बनने के बाद इस रिपोर्ट को लागू किया गया हालांकि यूपीए सरकार बाद में 10 साल रही लेकिन जातिगत जनगणना की यह रिपोर्ट जारी नहीं की गई। अतः राहुल गांधी पिछडो तथा आरक्षण की बात कर एक प्रकार से कांग्रेस की खामियों को ही उजागर करने में लगे हुए हैं।

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